264 जानिए कब और कैसे हुई पान खाने की शुरुवात ? जानिए इसके फायदे

 जानिए कब और कैसे हुई पान खाने की शुरुवात ? जानिए इसके फायदे



हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी का मतलब है कि हर उस तत्व कि कमी जो शरीर को काम करने के लिए चाहिए अगर शरीर में कैल्शियम नही मिल रहा तो बाकी और तत्व( विटामिन, प्रोटीन) लेने का कोई फायदा नही क्योंकि कैल्शियम की उपस्तिथि में ही बाकी सब सूक्ष्म पोषक तत्व उपयोगी होते है

इसका मतलब यह है कि अगर शरीर में विटामिन सी का असर देखना है तो कैल्शियम चाहिए विटामिन ए बी, डी, के का असर देखना है तो कैल्शियम चाहिए प्रोटीन अच्छे से आपके शरीर में काम में आयें तो कैल्शियम चाहिए कार्बोहाइड्रेट्स शरीर में काम में आये तो कैल्शियम चाहिए वसा शरीर में घुलती रहे तो कैल्शियम चाहिए. तो आप समझ लीजिये कि शरीर में अगर कैल्शियम नही है तो शरीर में बीमारियाँ आने ही वाली हैं

इसलिए कैल्शियम की सही समय पर उपलब्धता शरीर को होनी ही चाहिए वागभट्ट जी ने कहा है कि 40 साल की उम्र तक जो कुछ भी हम खा रहे हैं इसी में से हमको कैल्शियम मिलता रहता है सबसे ज्यादा कैल्शियम दूध में होता है दूध के बाद दही और उसके बाद मठा, मठठे के बाद मक्खन और उसके बाद घी में होता है. इन सबमें कैल्शियम होता है इसके बाद सभी खट्टे फलों में और फलों में सबसे ज्यादा केले में होता है इन सभी फलों से 40 से 45 की उम्र तक कैल्शियम आसानी से मिटा रहता है

लेकिन जैसे ही 45 से ज्यादा की उम्र होती है और महिलाओं में जैसे ही मासिक धर्म बंद होता है उसी उम्र के बाद आपके शरीर में कैल्शियम हजम होना बंद होने लगता है क्योंकि शरीर में कैल्शियम को हजम करने वाला जो होरमोन है वो तभी तक है जब तक मासिक धर्म शरीर में है मासिक चक्र बंद होते ही यह हार्मोन कम हो जाता है, और कैल्शियम डाईजेस्ट होना मुश्किल हो जाता है और शरीर को बाहर से कैल्शियम की जरुरत पड़ती है.

इसलिए महिलाओं से निवेदन है कि 45 की उम्र होते ही चूना खाएं क्योंकि अतिरिक्त कैल्शियम उससे ही मिलेगा और ये ही निवेदन पुरूषों से भी है क्यूंकि 45 की उम्र के बाद जो कैल्शियम फलों और सब्जियों से मिल रहा है वो आपके लिए पर्याप्त नही है और बाकी सब न्यूट्रीयंट्स भी कैल्शियम की उपस्तिथि में ही काम आयेंगे इसलिए इस पर ज्यादा ध्यान दें.

यही कारण है इस देश में जो पान खाने की परम्परा विकसित हुई है यह परम्परा बहुत ही वैज्ञानिक है जिसने भी शुरू की है, वह जरुर वागभट्ट का चेला रहा होगा और यह सबसे अद्भुत इसलिए है क्यूंकि भारत में पूर्व से लेकर पश्चिम तक हर जाति में यह खाने की परम्परा रही है चाहे पूर्व हो या पश्चिम, उतर हो या दक्षिण सभी जगह पान खाने की परम्परा है तो यह पान खाना भारतीय सभ्यता का बहुत बड़ा अंग है जो स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. बस ध्यान इतना रखें कि पान जो खाएं चुने का ही खाएं कभी भी कत्थे वाला न खाएं क्योंकि कथा आपके लिए इतना उपयोगी नही है कत्था स्वाद के लिए उपयोग होता है और चूना औषधि के लिए.

वागभट्ट जी कहते हैं कि जो लोग खाना खाने के बाद चूना लगा हुवा पान खाते है वो जिंदगी भर वात के रोगी हो नही सकते क्योंकि चूना सबसे ज्यादा वातनाशक औषधि है और यह भी नही है कि बहुत ही कम मात्र में उपलब्ध है यह प्रकृति में प्रचंड मात्रा में उपलब्ध है जो आपके वात के सब रोगों को दूर करेगा.

मतलब कंधे दुखते हैं, घुटने दुखते हैं, कमर दुखती है तो चूना खाइए और आज के विज्ञानं ने ये प्रूफ कर दिया है कि यदि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी है तो शरीर में 20 बीमारियाँ अतिरिक्त आयेंगी. हर तरह का दर्द आपको होगा चाहे मांसपेशियों का दर्द हो या हड्डियों का, रक्त के बहुत से रोग कैल्शियम की कमी से आते हैं और वो कहते हैं कि कफ के बहुत सारे रोग कैल्शियम की वजह से आते हैं. शरीर में कैल्शियम कम न होने दें क्यूंकि शरीर में कैल्शियम की उपस्तिथि में ही अन्य माइक्रोन्यूट्रीयंट्स काम में आते हैं अन्यथा नही.

जिन बच्चो की बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अच्छी दावा है चूना, जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे।  बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दावा है चूना ।

जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्यूकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा कैल्सियम की जरुरत होती है और चूना कैल्सियम का सब्से बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में – अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे – पहला फायदा होगा कि माँ को बच्चे के जन्म के समय कोई तकलीफ नही होगी और नोर्मल डिलीवरी होगी, दूसरा बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हस्टपुष्ट और तंदरुस्त होगा, तीसरा फ़ायदा वो बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया, और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है।

**ध्यान रहे पथरी के रोगीओं के लिए चूना वर्जित है, उनको नहीं लेना है**

कितना और कैसे ले चुना :- गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना। ध्यान रहे जिन्हें पथरी है वो कभी भी चुना ना खाएं.






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